नवरात्रि की अष्टमी तिथि मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा अराधना के लिए समर्पित है। इस दिन व्रत रखा जाता है और मां दुर्गा के साथ महागौरी की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन श्रद्धा भाव से जो कोई भी व्यक्ति व्रत रखता है और मां महागौरी की उपासना करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मां महागौरी को ममता की मूरत कहा जाता है। मां महागौरी करुणामयी, स्नेहमयी, शांत और मृदुल स्वभाव वाली हैं। चार भुजाओं वाली देवी महागौरी त्रिशूल और डमरू धारण किए हुए हैं। वहीं दो भुजाएं अभय और वरद मुद्रा में रहती हैं। कल यानी 03 सितंबर को अष्टमी तिथि के दिन मां महागौरी की पूजा की जाएगी। ऐसे में आइए जानते हैं मां को प्रसन्न करने के लिए पूजा की विधि
अष्टमी तिथि की पूजा बाकी के नवरात्रि की अन्य तिथियों की तरह ही की जाती है।
जिस तरह सप्तमी तिथि को माता की शास्त्रीय विधि से पूजा की जाती है, उसी तरह अष्टमी तिथि की पूजा भी करनी चाहिए।इस दिन मां के कल्याणकारी मंत्र ओम देवी महागौर्यै नम: मंत्र का जप करें और माता को लाल चुनरी अर्पित करें।जो लोग इस दिन कन्या पूजन कर रहे हैं, वह भी कन्याओं को लाल चुनरी चढ़ाएं।सबसे पहले लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और फिर माता की तस्वीर या मूर्ति पर सिंदूर व अक्षत चढ़ाएं।साथ ही मां दुर्गा का यंत्र रखकर उसकी भी इस दिन पूजा करें।
देवी महागौरी की पूजा का महत्व
शारदीय नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है। इस दिन देवी की पूजा मूल भाव को दिखाती है। देवी भागवत पुराण के अनुसार मां के 9 रूपों और 10 महाविद्या सभी आदिशक्ति के अंश और स्वरूप हैं।लेकिन महादेव के साथ उनकी अर्धांगिनी के रूप में महागौरी हमेशा विराजमान रहती हैं। महा गौरी को भगवान् शिव की पत्नी के रूप में और आदि शक्ति के रूप में भी पूजा जाता है। इनके तेज से संपूर्ण विश्व प्रकाशमान होता है।
दुर्गा सप्तशती के अनुसार, शुंभ निशुंभ से पराजित होने के बाद देवताओं ने गंगा नदी के तट पर देवी महागौरी से ही अपनी सुरक्षा की प्रार्थना की थी। मां के इस रूप के पूजन से शारीरिक क्षमता का विकास होने के साथ मानसिक शांति भी बढ़ती है माता के इस स्वरूप को अन्नपूर्णा, ऐश्वर्य प्रदायिनी, चैतन्यमयी भी कहा जाता है।
देवी महागौरी के लिए भोग
अष्टमी तिथि के दिन मां महागौरी को नारियल या नारियल से बनी चीजों का भोग लगाना फलदायी होता है। भोग (नवरात्रि के भोग)लगाने के बाद नारियल को ब्राह्मण को दे दें और प्रसाद स्वरूप भक्तों में बांट दें। मान्यता है कि नारियल का भोग लगाने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
देवी महागौरी के मंत्र
ऐसी मान्यता है कि माता गौरी के इस स्वरूप का पूजन कुछ मन्त्रों के जाप के साथ करना चाहिए। मन्त्रों का जाप आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में मदद करता है। अगर आप घर की सुख समृद्धि बनाए रखना चाहती हैं तो यहां बताए मंत्र आपके लिए फलदायी हो सकते हैं।
श्वेते वृषे समारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
विवाह की बाधा दूर करने के लिए ऐसे करें देवी महागौरी की पूजा अर्चना
लकड़ी के पटरे पर स्वच्छ पीला वस्त्र बिछाकर देवी महागौरी की प्रतिमा को स्थापित करें.
स्वयं भी पीले वस्त्र धारण करके पूरे पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करें.
देवी महागौरी के सामने गाय के घी का दिया जलाएं और उनका ध्यान करें.
देवी मां को सफेद या पीले फूल दोनों हाथों से अर्पण करें तथा मंत्र का जाप करें.
प्रसाद के रूप में देवी महागौरी को नारियल अर्पण करें.
ऐसा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी और कन्याओं को सुयोग्य वर मिलता है.
देवी महागौरी पूजा से कैसे शुक्र को करें मजबूत ?
मां की उपासना सफेद वस्त्र धारण करके करें.
मां को सफेद फूल, और सफेद मिठाई अर्पित करें.
फिर शुक्र के मूल मंत्र ॐ शुं शुक्राय नमः का जाप करें.
शुक्र की समस्याओं के समाप्ति की प्रार्थना करें.
नवरात्रि के आठवें दिन मां को सफेद फूल अर्पित करें.
इससे मां की विशेष कृपा प्राप्त होगी.
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