Shardiya Navratri 2022: नवरात्रि के तीसरे दिन करें मां चंद्रघंटा की उपासना, जानें पूजा विधि और पढ़ें ये कथा
Shardiya Navratri 2021: नवरात्रि के तीसरे दिन करें मां चंद्रघंटा की उपासना, जानें पूजा विधि और पढ़ें ये कथा
Chandraghanta Puja: देवी चंद्रघंटा का वाहन सिंह है. इनकी दस भुजाएं और तीन आंखें हैं. आठ हाथों में खड्ग, बाण जैसे दिव्य अस्त्र-शस्त्र हैं और दो हाथों से ये भक्तों को आशीष देती हैं.
Shardiya Navratri 2021 Third Day Maa Chandraghanta Puja: शारदीय नवरात्रि में हर दिन मां के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है और मां के हर रूप की अलग महिमा भी है. नवरात्रि के तीसरे दिन देवी के तृतीय स्वरूप मां चंद्रघंटा (Maa Chandraghanta) की पूजा की जाती है. माता के सिर पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है. इसी वजह से इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है. देवी चंद्रघंटा का वाहन सिंह है. इनकी दस भुजाएं और तीन आंखें हैं. आठ हाथों में खड्ग, बाण जैसे दिव्य अस्त्र-शस्त्र हैं और दो हाथों से ये भक्तों को आशीष देती हैं. इनका संपूर्ण शरीर दिव्य आभामय है. इनके दर्शन से भक्तों का हर तरह से कल्याण होता है. माता भक्तों को सभी तरह के पापों से मुक्त करती हैं. इनकी पूजा से बल और यश में बढ़ोतरी होती है. स्वर में दिव्य अलौकिक मधुरता आती है.
देवी की घंटे-सी प्रचंड ध्वनि से भयानक राक्षस भय खाते हैं. नवरात्रि के नौ दिनों में देवी के 9 रूपों की पूजा की जाती है. नवदुर्गा हिंदू धर्म में माता दुर्गा या पार्वती के 9 रूपों को एक साथ कहा जाता है. इन्हें पापों की विनाशिनी कहा जाता है. हर देवी के अलग-अलग वाहन हैं और अस्त्र-शस्त्र हैं.
नवरात्रि के तीसरे दिन का महत्व
नवरात्रि का तीसरा दिन भय से मुक्ति और अपार साहस प्राप्त करने का होता है. इस दिन मां के चंद्रघंटा स्वरूप की उपासना की जाती है. इनके सिर पर घंटे के आकार का चंद्रामा है, इसलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है. इनके दसों हाथों में अस्त्र-शस्त्र हैं और इनकी मुद्रा युद्ध की मुद्रा है. मां चंद्रघंटा तंभ साधना में मणिपुर चक्र को नियंत्रित करती हैं और ज्योतिष में इनका संबंध मंगल ग्रह से होता है.
कैसे करें मां चंद्रघंटा की पूजा
मां चंद्रघंटा, जिनके माथे पर घंटे के आकार का एक चंद्र होता है, इनकी पूजा करने से शांति आती है, परिवार का कल्याण होता है. मां को लाल फूल चढ़ाएं, लाल सेब और गुड़ चढाएं, घंटा बजाकर पूजा करें, ढोल और नगाड़े बजाकर पूजा और आरती करें. ऐस करने से शत्रुओं की हार होती है. इस दिन गाय के दूध का प्रसाद चढ़ाने का विशेष विधान है. इससे हर तरह के दुखों से मुक्ति मिलती है.
मां की उपासना का मंत्र
पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥
या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:।
देवी का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है. उनका ध्यान हमारे इस लोक और परलोक दोनों को सद्गति देने वाला है. इनके मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चंद्र है इसीलिए मां को चंद्रघंटा कहा गया है. इनके शरीर का रंग सोने के समान बहुत चमकीला है और इनके दस हाथ हैं. वे खड्ग और अन्य अस्त्र-शस्त्र से विभूषित हैं. मां सिंह पर सवार दुष्टों के संहार के लिए हमेशा तैयार रहती हैं. इनके घंटे सी भयानक ध्वनि से अत्याचारी, दानव-दैत्य और राक्षस कांपते रहते हैं.
मां चंद्रघंटा की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार जब दैत्यों का आतंक बढ़ने लगा तो मां दुर्गा ने मां चंद्रघंटा का अवतार लिया. उस समय असुरों का स्वामी महिषासुर था जिसका देवताओं से भंयकर युद्ध चल रहा था. महिषासुर देव राज इंद्र का सिंहासन प्राप्त करना चाहता था. उसकी प्रबल इच्छा स्वर्गलोक पर राज करने की थी. उसकी इस इच्छा को जानकार सभी देवता परेशान हो गए और इस समस्या से निकलने का उपाय जानने के लिए भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के सामने उपस्थित हुए. देवताओं की बात को गंभीरता से सुनने के बाद तीनों को ही क्रोध आया. क्रोध के कारण तीनों के मुख से जो ऊर्जा उत्पन्न हुई. उससे एक देवी अवतरित हुईं. जिन्हें भगवान शंकर ने अपना त्रिशूल और भगवान विष्णु ने चक्र प्रदान किया.
इसी प्रकार अन्य देवी देवताओं ने भी माता के हाथों में अपने अस्त्र सौंप दिए. देवराज इंद्र ने देवी को एक घंटा दिया. सूर्य ने अपना तेज और तलवार दी, सवारी के लिए सिंह प्रदान किया. इसके बाद मां चंद्रघंटा महिषासुर के पास पहुंचीं. मां का ये रूप देखकर महिषासुर को ये आभास हो गया कि उसका काल आ गया है. महिषासुर ने मां पर हमला बोल दिया. इसके बाद देवताओं और असुरों में भंयकर युद्ध छिड़ गया. मां चंद्रघंटा ने महिषासुर का संहार किया. इस प्रकार मां ने देवताओं की रक्षा की.(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.
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