Maa Kushmanda Puja: नवरात्रि के चौथे दिन करें मां कूष्मांडा की पूजा, जानिए संपूर्ण विधि और मंत्र
Shardiya Navratri 2022 4th Day Maa Kushmanda Puja: हिंदू धर्म में नवरात्र का काफी अधिक महत्व है। नवरात्र के दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूप की पूजा की जाती है। वहीं चौथे दिन मां कूष्मांडा देवी की पूजा की जाएगी। माना जाता है कि मां कूष्मांडा देवी ने सृष्टि की रचना की थी। कूष्मांडा एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है कुम्हड़ा यानी पेठा की बलि देना। माना जाता है कि मां कूष्मांडा की पूजा करने से हर तरह के कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। इसके साथ ही सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। शारदीय नवरात्रि के पावन दिनों की शुरुआत हो चुकी है। नवरात्रि में मां दुर्गा के अलग-अलग नौ स्वरूपों की पूजा का विधान है। नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के चतुर्थ स्वरूप देवी कूष्मांडा की पूजा का विधान है। 29 अगस्त को नवरात्रि का चौथा दिन है। देवी दुर्गा के सभी स्वरूपों में मां कूष्मांडा का स्वरूप बहुत ही तेजस्वी है। मां कूष्मांडा सूर्य के समान तेज वाली हैं। जगत जननी मां जगदंबे के चौथे स्वरूप का नाम कूष्माण्डा है। अपनी मंद हंसी द्वारा संपूर्ण कूष्मांडा को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कूष्मांडा देवी के नाम से अभिहित किया गया है। मां कूष्मांडा की पूजा से बुद्धि का विकास होता है और जीवन में निर्णय लेने की शक्ति बढ़ती है। ऐसे में चलिए जानते हैं मां कूष्मांडा की पूजा विधि और के बारे में...
मां कूष्मांडा की पूजा का शुभ मुहूर्त
नवमी तिथि आरंभ- 29 सितंबर को तड़के 1 बजकर 27 मिनट से शुरू
नवमी तिथि समाप्त- 30 सितंबर सुबह 12 बजकर 9 मिनट तक
विशाखा नक्षत्र- 29 सितंबर सुबह 5 बजकर 52 मिनट से 30 सितंबर सुबह 5 बजकर 13 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 35 मिनट से दोपहर 12 बजकर 22 मिनट तक
कैसा है मां कूष्मांडा का स्वरूप ?
मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं, इसलिए इन्हें अष्टभुजा भी कहा जाता है। इनके सात हाथों में क्रमशः कमण्डल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा हैं। वहीं आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है। मां कुष्मांडा को कुम्हड़े की बलि अति प्रिय है और संस्कृत में कुम्हड़े को कूष्मांडा कहते हैं। इसीलिए मां दुर्गा के इस रूप को कूष्मांडा कहा जाता है।
मां कूष्मांडा की पूजा विधि
नवरात्रि के चौथे दिन प्रातः स्नान आदि के बाद माता कूष्मांडा को नमन करें। मां कूष्मांडा को इस निवेदन के साथ जल पुष्प अर्पित कर मां का ध्यान करें। कहा जाता है कि यदि कोई लंबे समय से बीमार है, तो मां कूष्मांडा की विधि-विधान से की गई पूजा उस व्यक्ति को अच्छी सेहत प्रदान करती है।
पूजा के दौरान देवी को पूरे मन से फूल, धूप, गंध, भोग चढ़ाएं। चाैथे नवरात्रि में देवी मां को मालपुए का भोग लगाना चाहिए। पूजा के बाद मां कुष्मांडा को मालपुए का भोग लगाएं। इसके बाद प्रसाद को किसी ब्राह्मण को दान करें। आखिर में अपने से बड़ों को प्रणाम कर प्रसाद वितरित करें और खुद भी प्रसाद ग्रहण करें।
माता का मंत्र
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कुष्मांडा शुभदास्तु मे।
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